तेरी यादें सताती है उन रूहो की तरह ...
जिनके ख्वाहिशे अधूरे सी रह जाती है ...
अगर मिले मौका .. तो पा लू तुझे ..
दुनिया के ज़ंजीरें तोड़ कर ..
अपनी हर सास के समां लू तुझे |
तुझे तो न आएगी मेरी याद ज़ालिम सनम ,
हम ही प्यार का घुट पी कर रह गए हर रात ...
तू खुश रहे अपने दुनिया में , दुआ है निकली बस आज ..
हर लम्हा .. हर सरसराहट .. हर छुअन पे
..
..
अक्ष हो तेरा सिर्फ तेरा मेरे पास |
हिम्मत तो मुझमें भी न थी ..
की बना लू सदा के लिए तुझे मे अपना ..
की बना लू सदा के लिए तुझे मे अपना ..
मिले एक मौका , या कोई इबादत से तू मझे ..
समेट लू आँचल मे ज़िन्दगी के लिए|
कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है !
ReplyDeleteमगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है !!
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ , तू मुझसे दूर कैसी है !
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है !!